एक कंजूस व्यक्ति ने जीवन भर कंजूसी करके पांच लाख दीनार एकत्रित कर लिये। इस एकत्रित धन की बदौलत वह एक साल तक बिना कोई काम किए चैन की बंशी बजाने के स्वप्न देखने लगा। इसके पहले कि वह उस धन को निवेश करने का इरादा कर पाता, यमदूत ने उसके दरवाज़े पर दस्तक दे दी। उस व्यक्ति ने यमदूत से कुछ समय देने की प्रार्थना की परंतु यमदूत टस से मस नहीं हुआ। उसने याचना की - "मुझे तीन दिन की ज़िंदगी दे दो, मैं तुम्हें अपना आधा धन दे दूँगा।" पर यमदूत ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। उस व्यक्ति ने फिर प्रार्थना की - "मैं आपसे एक दिन की ज़िंदगी की भीख मांगता हूं। इसके बदले तुम मेरी वर्षों की मेहनत से जोड़ा गया पूरा धन ले लो।" पर यमदूत फिर भी अडिग रहा। अपनी तमाम अनुनय-विनय के बाद उसे यमदूत से सिर्फ इतनी मोहलत मिली कि वह एक संदेश लिख सके। उस व्यक्ति ने अपने संदेश में लिखा - "जिस किसी को भी यह संदेश मिले, उससे मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि वह जीवनभर सिर्फ संपत्ति जोड़ने की फिराक में न रहे। ज़िंदगी का एक - एक पल पूरी तरह से जियो। मेरे पांच लाख दीनार भी मेरे लिए एक घंटे का समय नहीं खरीद सके।" इसलिए दोस्तों वर्तमान में जियो , भविष्य की सोच सोच कर अपने वर्तमान को ख़राब मत करो.
लिखिए अपनी भाषा में
Wednesday, 1 January 2014
Monday, 30 December 2013
"जो" तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।"
एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोजाना भोजन
पकाती थी और एक रोटी वह वहां से ...गुजरने वाले
किसी भी भूखे के लिए पकाती थी ,
वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी जिसे
कोई भी ले सकता था .
एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और वजाय
धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह
बडबडाता "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और
जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
दिन गुजर...ते गए और ये
सिलसिला चलता रहा ,वो कुबड़ा रोज रोटी लेके
जाता रहा और इन्ही शब्दों को बडबडाता
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन
खुद से कहने लगी कि "कितना अजीब व्यक्ति है ,एक शब्द
धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने
क्या क्या बडबडाता रहता है ,
मतलब क्या है इसका ".
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और
बोली "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी ".
और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में जहर
मिला दीया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे
ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश
कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह
बोली "
हे भगवन मैं ये क्या करने जा रही थी ?" और उसने तुरंत उस
रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दीया .एक
ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी ,
हर रोज कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके "जो तुम
बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे
वह तुम तक लौट के आएगा " बडबडाता हुआ चला गया इस
बात से बिलकुल बेखबर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल
रहा है .
हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह
भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर
वापसी के लिए प्रार्थना करती थी जो कि अपने सुन्दर
भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ
था .महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी.
शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है ,वह
दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है ,
अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है.वह पतला और
दुबला हो गया था. उसके कपडे फटे हुए थे और वह
भूखा भी था ,भूख से वह कमजोर हो गया था. जैसे ही उसने
अपनी माँ को देखा,
उसने कहा, "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ. जब मैं
एक मील दूर है, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर. मैं मर
गया होता,
लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था ,उसकी नज़र
मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लीया,भूख के
मरे मेरे प्राण निकल रहे थे
मैंने उससे खाने को कुछ माँगा ,उसने नि:संकोच
अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि "मैं हर रोज
यही खाता हूँ लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है
सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो " .
जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी माँ का चेहरा पिला पड़
गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाजे
का सहारा लीया ,
उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह
रोटी में जहर मिलाया था
.अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट
नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और
अंजाम होता उसकी मौत
और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट
हो चूका था
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।
" निष्कर्ष "
~हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप
को कभी मत रोको फिर चाहे उसके लिए उस समय
आपकी सराहना या प्रशंसा हो या न हो .
-
पकाती थी और एक रोटी वह वहां से ...गुजरने वाले
किसी भी भूखे के लिए पकाती थी ,
वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी जिसे
कोई भी ले सकता था .
एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और वजाय
धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह
बडबडाता "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और
जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
दिन गुजर...ते गए और ये
सिलसिला चलता रहा ,वो कुबड़ा रोज रोटी लेके
जाता रहा और इन्ही शब्दों को बडबडाता
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "
वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन
खुद से कहने लगी कि "कितना अजीब व्यक्ति है ,एक शब्द
धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने
क्या क्या बडबडाता रहता है ,
मतलब क्या है इसका ".
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और
बोली "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी ".
और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में जहर
मिला दीया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे
ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश
कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह
बोली "
हे भगवन मैं ये क्या करने जा रही थी ?" और उसने तुरंत उस
रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दीया .एक
ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी ,
हर रोज कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके "जो तुम
बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे
वह तुम तक लौट के आएगा " बडबडाता हुआ चला गया इस
बात से बिलकुल बेखबर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल
रहा है .
हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह
भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर
वापसी के लिए प्रार्थना करती थी जो कि अपने सुन्दर
भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ
था .महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी.
शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है ,वह
दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है ,
अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है.वह पतला और
दुबला हो गया था. उसके कपडे फटे हुए थे और वह
भूखा भी था ,भूख से वह कमजोर हो गया था. जैसे ही उसने
अपनी माँ को देखा,
उसने कहा, "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ. जब मैं
एक मील दूर है, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर. मैं मर
गया होता,
लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था ,उसकी नज़र
मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लीया,भूख के
मरे मेरे प्राण निकल रहे थे
मैंने उससे खाने को कुछ माँगा ,उसने नि:संकोच
अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि "मैं हर रोज
यही खाता हूँ लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है
सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो " .
जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी माँ का चेहरा पिला पड़
गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाजे
का सहारा लीया ,
उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह
रोटी में जहर मिलाया था
.अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट
नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और
अंजाम होता उसकी मौत
और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट
हो चूका था
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम
अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।
" निष्कर्ष "
~हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप
को कभी मत रोको फिर चाहे उसके लिए उस समय
आपकी सराहना या प्रशंसा हो या न हो .
-
Saturday, 14 December 2013
तेनाली एक योद्धा
एक बार एक प्रसिद्ध योद्धा उत्तर भारत से विजयनगर आया। उसने कई युद्ध तथा पुरस्कार जीत रखे थे। इसके अतिरिक्त वह आज तक अपनी पूरी जिंदगी में मल्ल युद्ध में पराजित नहीं हुआ था।
उसने युद्ध के लिए विजयनगर के योद्धाओं को ललकारा। उसके लंबे, गठीले व शक्तिशाली शरीर के सामने विजयनगर का कोई भी योद्धा टिक न सका। अब विजयनगर की प्रतिष्ठा दांव पर लग चुकी थी। इस बात से नगर के सभी योद्धा चिंतित थे। बाहर से आया हुआ एक व्यक्ति पूरे विजयनगर को ललकार रहा था और वे सब कुछ भी नहीं कर पा रहे थे अतः सभी योद्धा इस समस्या के हल के लिए तेनालीराम के पास गए।
उनकी बात बड़े ध्यान से सुनने के बाद तेनालीराम बोला- 'सचमुच, यह एक बड़ी समस्या है, परंतु उस योद्धा को तो कोई योद्धा ही हरा सकता है। मैं कोई योद्धा तो हूं नहीं, बस एक विदूषक हूं। इसमें मैं क्या कर सकता हूं?'
तेनालीराम की यह बात सुन सभी योद्धा निराश हो गए, क्योंकि उनकी एकमात्र आशा तेनालीराम ही था। जब वे निराश मन से जाने लगे तो तेनालीराम ने उन्हें रोककर कहा- 'मैं उत्तर भारत के उस वीर योद्धा से युद्ध करूंगा और उसे हराऊंगा, परंतु तुम्हें वचन देना कि जैसा मैं कहुंगा, तुम सब वैसा ही करोगे।' उन लोगों ने तुरंत वचन दे दिया।
वचन लेने के बाद तेनालीराम बोला- 'शक्ति परीक्षण के दिन तुम सभी पदक पहना देना और उस योद्धा से मेरा परिचय अपने गुरु के रूप में कराना और मुझे अपने कंधे पर बैठाकर ले जाना।'
विजयनगर के योद्धाओं ने तेनालीराम को ऐसा ही करने आश्वासन दिया। निश्चित दिन के लिए तेनालीराम ने योद्धाओं को एक नारा भी याद करने को कहा, जो कि इस प्रकार था, 'ममूक महाराज की जय', 'मीस ममूक महाराज की जय।'
तेनालीराम ने कहा- 'जब तुम मुझे कंधों पर बैठाकर युद्धभूमि में जाओगे, तब सभी इस नारे को जोर-जोर से बोलना।'
अगले दिन युद्धभूमि में जोर-जोर से नारा लगाते हुए योद्धाओं की ऊंची आवाज सुनकर उत्तर भारत के योद्धा ने सोचा कि अवश्य ही कोई महान योद्धा आ रहा है।
नारा कन्नड़ भाषा का साधारण श्लोक था जिसमें 'ममूक' का अर्थ था- 'धूल चटाना' जबकि 'मीस' का अर्थ भी लगभग यही था। उत्तर भारत के योद्धा को कन्नड़ भाषा समझ में नहीं आ रही थी अतः उसने सोचा कि कोई महान योद्धा आ रहा है।
तेनालीराम उत्तर भारत के योद्धा के पास आया और बोला- 'इससे पहले कि मैं तुम्हारे साथ युद्ध करूं, तुम्हें मेरे हाव-भावों का अर्थ बताना होगा। दरअसल प्रत्येक महान योद्धा को इन हाव-भावों का अर्थ ज्ञात होना चाहिए। अगर तुम मेरे हाव-भावों का अर्थ बता दोगे, तभी मैं तुम्हारे साथ युद्ध करूंगा। यदि तुम अर्थ नहीं बता सके तो तुम्हें अपनी पराजय स्वीकार करनी पडेगी।'
इतने बड़े-बड़े योद्धाओं को देख, जो कि तेनालीराम को कंधों पर उठाकर लाए थे और उसे अपना गुरु बता रहे थे व जोर-जोर से नारा भी लगा रहे थे, वह योद्धा सोचने लगा कि अवश्य ही तेनालीराम कोई बहुत ही महान योद्धा है अतः उसने तेनाली की बात स्वीकार कर ली।
इसके बाद तेनालीराम ने संकेत देने आरंभ किए। तेनालीराम ने सर्वप्रथम अपना दायां पैर आगे करके योद्धा की छाती को अपने दाएं हाथ से छुआ। फिर अपने बाएं हाथ से उसने स्वयं को छुआ, तत्पश्चात उसने अपने दाएं हाथ को बाएं हाथ पर रखकर जोर से दबा दिया। इसके बाद उसने अपनी तर्जनी से दक्षिण दिशा की ओर संकेत किया।
फिर उसने अपने दोनों हाथों की तर्जनी उंगलियों से एक गांठ बनाई, तत्पश्चात एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर अपने मुंह में डालने का अभिनय किया।
इसके पश्चात उसने उत्तर भारत के योद्धा से इन हाव-भावों को पहचानने के लिए कहा, परंतु वह योद्धा कुछ समझ नहीं पाया इसलिए उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली। वह विजयनगर से चला गया और जाते-जाते अपने सभी पदक व पुरस्कार तेनालीराम को दे गया।
विजयनगर के राजा व प्रजा परिस्थिति के बदलते ही अचंभित-से हो गए। सभी योद्धा बिना युद्ध किए ही जीतने से प्रसन्न थे। राजा ने तेनालीराम को बुलाकर पूछा- 'तेनाली, उन हाव-भावों से तुमने क्या चमत्कार किया?'
तेनालीराम बोला- 'महाराज, इसमें कोई चमत्कार नहीं था। यह मेरी योद्धा को मूर्ख बनाने की योजना थी। मेरे हाव-भावों के अनुसार वह योद्धा उसी प्रकार शक्तिशाली था जिस प्रकार किसी का दायां हाथ शक्तिशाली होता है और मैं उसके सामने बाएं हाथ की तरह निर्बल था।
यदि दाएं हाथ के समान शक्तिशाली योद्धा बाएं हाथ के समान निर्बल योद्धा को युद्ध के लिए ललकारेगा तो निर्बल योद्धा तो बादाम की तरह कुचल दिया जाएगा, सो यदि मैं युद्ध हारता तो दक्षिण दिशा में बैठी मेरी पत्नी को अपमानरूपी धूल खानी पडती। मेरे हाव-भावों का केवल यही अर्थ था जिसे वह समझ नहीं पाया।'
तेनाली का यह जवाब सुनकर राजा व सभी एकत्रित लोग ठहाका लगाकर हंस पड़े।
पापा की कार …
एक मेहनती और ईमानदार नौजवान बहुत पैसे
कमाना चाहता था क्योंकि वह गरीब था और
बदहाली में जी रहा था।
उसका सपना था कि वह मेहनत करके खूब पैसे
कमाये और एक दिन अपने पैसे से एक कार खरीदे।
जब भी वह कोई कार देखता तो उसे अपनी कार
खरीदने का मन करता।
कुछ साल बाद उसकी अच्छी नौकरी लग गयी।
उसकी शादी भी हो गयी और कुछ ही वर्षों में वह
एक बेटे का पिता भी बन गया।
सब कुछ ठीक चल रहा था मगर फिर भी उसे एक
दुख सताता था कि उसके पास उसकी अपनी कार
नहीं थी।
धीरे – धीरे उसने पैसे जोड़ कर एक कार खरीद ली।
कार खरीदने का उसका सपना पूरा हो चुका था और
इससे वह बहुत खुश था।
वह कार की बहुत अच्छी तरह देखभाल
करता था और उससे शान से घूमता था।
एक दिन रविवार को वह कार को रगड़ – रगड़ कर
धो रहा था।
यहां तक कि गाड़ी के टायरों को भी चमका रहा था।
उसका 5 वर्षीय बेटा भी उसके साथ था।
बेटा भी पिता के आगे पीछे घूम – घूम कर कार
को साफ होते देख रहा था।
कार धोते धोते अचानक उस आदमी ने
देखा कि उसका बेटा कार के बोनट पर किसी चीज़ से
खुरच – खुरच कर कुछ लिख रहा है।
यह देखते ही उसे बहुत गुस्सा आया।
वह अपने बेटे को पीटने लगा।
उसने उसे इतनी जोर से पीटा कि बेटे के हाथ की एक
उंगली ही टूट गयी।
दरअसल वह आदमी अपनी कार को बहुत
चाहता था और वह बेटे की इस शरारत को बर्दाश्त
नहीं कर सका ।
बाद में जब उसका गुस्सा कुछ कम हुआ तो उसने
सोंचा कि जा कर देखूं कि कार में कितनी खरोंच
लगी है।????
कार के पास जा कर देखने पर उसके होश उड़ गये।
.
उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
वह फूट – फूट कर रोने लगा।
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
कार पर उसके बेटे ने खुरच कर लिखा था
Papa, I love you....
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी के बारे में
कोई गलत राय रखने से पहले या गलत फैसला लेने
से पहले हमें ये ज़रूर सोंचना चाहिये कि उस
व्यक्ति ने वह काम किस नियत से किया है
Friday, 13 December 2013
फेसबुक के 6 दिलचस्प फीचर्स जो आप नहीं जानते हैं
1 फेसबुक पर भेजे ईमेल
आप जिस तरह अपने जीमेल या याहू मेल से किसी को ईमेल करते हैं उसी तरीके
से आप अपने फेसबुस फ्रेंड को जीमेल से फेसबुक पर ईमेल कर सकते हैं। किसी
को ईमेल भेजने के लिए ईमेल आईडी की जरूरत होती है। फेसबुक ने सभी यूजर्स
को ईमेल एड्रेस के रूप में एक पहचान दे रखी है।
आप किसी भी फेसबुक यूजर्स को उसके यूजर नेम के साथ फेसबुक डॉट कॉल
(username@facebook.com) लिखकर ईमेल कर सकते हैं। ये ईमेल आपके फेसबुक
फ्रेंड के मैसेज बॉक्स में आपकी तस्वीर के साथ दिखाई देता है।
नोट: यूजर नेम कॉमन होने के कारण यूजर नेम के साथ कुछ अंक भी हो सकते
हैं। फेसबुक फ्रेंड के अबउट सेक्शन जाकर आप फ्रेसबुक ईमेल आईडी देख सकते
हैं।
2 इंट्रेस्ट लिस्ट बनाना Create an interest list
फेसबुक यूजर्स के लिए ये भी विकल्प मौजूद है कि वे अपने दिलचस्पी की
चीजों की एक लिस्ट बना सकते हैं।
Create list पर क्लिक करते ही अपने समाने एक विंडो खुल कर आती है। जिसमें
आपके द्वारा लाइक की गईं चीजें दिखाई देंगी।
आप लाइक की गईं चीजों जैसे पेज, मूवी, बुक वगैराह को एक नाम देकर ऑगनाइज
कर सकते हैं। साथ ही ये तय कर सकते हैं कि आपके द्वारा लाइक की गईं
किन-किन चीजों को कौन-कौन देख सकता है।
3 फोटो व्यू पुराने अंदाज में
फेसबुक ने अपनी साइट पर काफी सारे बदलाव कर दिए हैं। कुछ लोगों के ये
बदलाव अच्छे लगते है तो कुछ लोग इसको न पसंद भी करते हैं।
लेकिन न पसंद करने पर नहीं उन बदले हुए फीचर का इस्तेमाल करना होता है।
जैसे फेसबुक पर फोटो को देखना। जैसे ही आप फोटो पर क्लिक करते हैं एक
ब्लैक बॉक्स के अंदर आपको फोटो दिखाई देती है।
अगर आप इसको पुराने अंदाज में देखना चाहते हैं तो बस कंप्यूटर के F5 बटन
को दबाएं। और पुराने अंदाज में फोटो के देखें।
4 फेसबुक टैगिंग से निजात
कुछ फेसबुक यूजर्स को इस बात से काफी परेशानी हो जाती है कि उनको
अनाप-शनाप तस्वीरों में टैग कर दिया जाता है।
टैग तस्वीर आपके सभी फेसबुक दोस्तों को दिखाई दे रही होती है।
लेकिन आप ऐसी टैगिंग से बच सकते हैं। इसके लिए आप टैगिंग रिव्यू का
इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें अगर कोई व्यक्ति आपको टैग करना चाहता है तो
पहले उस तस्वीर को देखेंगे फिर उसको टैगिंग की अनुमति देंगे।
इसके लिए आप फेसबुक के सेटिंग में जाकर बाएं ओर दिए गए ऑप्शन टाइमलाइन
एंड टैगिंग पर क्लिक करके टैगिंग रिव्यू विकल्प को ऑन कर सकते हैं।
5 फेसबुक डाउनलोडिंग
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आप जो भी पोस्ट, फोटो, मैसेज, इंफोमेशन
शेयर करते हैं, वो हमेशा फेसबुक पर ही रहती है। अगर आप चाहें तो आप ये
डाटा अपने कंप्यूटर में भी डाउनलोड कर सकते हैं।
फेसबुक से डाटा डाउनलोड करने के लिए फेसबुक सेटिंग में जाकर, जनरल अकाउंट
सेटिंग पर क्लिक करें। यहां आपको पासवर्ड बदलने का ऑप्शन भी मिलता है और
नीचे की ओर एक डाउनलोड कॉपी का ऑप्शन भी होता है।
डाउनलोड कॉपी पर क्लिक करके आप फेसबुक का सारा डाटा डाउनलोड कर सकते हैं।
6 फेसबुक नोटिफिकेशन
अगर आप स्मार्टफोन में फेसबुक का इस्तेमाल हैं तो कभी-कभी फेसबुक की
लगातार आने वाली नोटिफिकेशन परेशान भी कर देती हैं।
आप फेसबुक नोटिफिकेशन को बंद भी कर सकते हैं। इसके लिए आपके स्मार्टफोन
के प्राइवेसी सेटिंग में जाकर, नोटिफिकेशन ऑप्शन पर क्लिक करें। यहां
मोबाइल पुश को देखें और टिक को हटा दें।
आप जिस तरह अपने जीमेल या याहू मेल से किसी को ईमेल करते हैं उसी तरीके
से आप अपने फेसबुस फ्रेंड को जीमेल से फेसबुक पर ईमेल कर सकते हैं। किसी
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हैं। फेसबुक फ्रेंड के अबउट सेक्शन जाकर आप फ्रेसबुक ईमेल आईडी देख सकते
हैं।
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चीजों की एक लिस्ट बना सकते हैं।
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3 फोटो व्यू पुराने अंदाज में
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4 फेसबुक टैगिंग से निजात
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इसके लिए आप फेसबुक के सेटिंग में जाकर बाएं ओर दिए गए ऑप्शन टाइमलाइन
एंड टैगिंग पर क्लिक करके टैगिंग रिव्यू विकल्प को ऑन कर सकते हैं।
5 फेसबुक डाउनलोडिंग
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आप जो भी पोस्ट, फोटो, मैसेज, इंफोमेशन
शेयर करते हैं, वो हमेशा फेसबुक पर ही रहती है। अगर आप चाहें तो आप ये
डाटा अपने कंप्यूटर में भी डाउनलोड कर सकते हैं।
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6 फेसबुक नोटिफिकेशन
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आप फेसबुक नोटिफिकेशन को बंद भी कर सकते हैं। इसके लिए आपके स्मार्टफोन
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